क्लास टॉपर्स सफल क्यों नहीं होते? Motivational Article for Last Bench Students in Hindi

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                हाय दोस्तों, आमतौर पर सबको पता है कि क्लास टॉपर्स सफल नहीं होते हैं। A ग्रेड स्टूडेंट्स C ग्रेड या फेलड स्टूडेंट्स के हाथों के निचे काम करते है, यह जगज़ाहर की बात है। एक साधारण पिवुन की नौकरी के लिए PG, Phd किए हुए लोग भी अप्लाय करते है, तो इससे ही क्लास टॉपर्स का वास्तविक औकात समझ में आता है। क्लास टॉपर्स सफल क्यों नहीं होते? इसके लिए कुछ कारण यहाँ है।

क्लास टॉपर्स सफल क्यों नहीं होते? Motivational Article for Last Bench Students in Hindi

1) प्रैक्टिकल एजुकेशन की कमी (Lack of Practical Education) :

                 हमारी शिक्षा प्रणाली में प्रैक्टिकल एजुकेशन के लिए अवसर नहीं है। हमारा सिलेबस सिर्फ थियरी सिखाता है। जितना हो सके उतना प्रैक्टिकल चीजों को अवाइड करता है। क्लास टॉपर्स ऐसे सिलेबस को ईमानदारी से पढ़ते है। इसलिए उनमें कोई प्रैक्टिकल नॉलेज नहीं होता। उन्हें सही नौकरी नहीं मिलती। इसके अलावा, वे जो सीखते हैं, उसमें से 90% चीजें वास्तविक जीवन में किसी काम के लिए नहीं आते है।

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2) सोचने की क्षमता की कमी (Lack of Thinking Ability) :

             अधिकांश क्लास टॉपर्स में सोचने की क्षमता नहीं होती है। वे सिर्फ थियरी पर ज्यादा फोकस करते है। वे किसी भी चीज के बारे में प्रैक्टिकली नहीं सोचते है। इसलिए उनमें कोई नए विचार पैदा नहीं होते है। वे सिर्फ वेल ट्रेनड (Well Trained) होते है, न की वेल एजुकेटेड (Well Educated).

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3) शिक्षकों की गुलामी और अहंकार (Teachers’ Slavery and Ego) :

               क्लास टॉपर्स हमेशा शिक्षकों को मक्खन लगाने की काम करते हैं। इंटरनल और प्रैक्टिकल मार्क्स के लिए शिक्षकों की गुलामी करते है। दिखावे की इज्जत देते है। उनको नैस करके अपने दाल पकालेते है। “अति विनयम चोर लक्षणम” उनको सही से सूट करता है। इस महान आज्ञाकारिता के कारण, टीचर्स उन्हें बहुत सपोर्ट करते है। उनकी प्रशंसा करते है। टीचर्स के प्रशंसा मिलने पर वो हवा में उड़ने लगते हैं। आमतौर पर सभी लड़कियां क्लास टॉपर्स पर एक नजर रखती हैं। इसलिए वे खुद को बहुत बुद्धिमान समझते है और अहंकार में डूब जाते है।

क्लास टॉपर्स सफल क्यों नहीं होते? Motivational Article for Last Bench Students in Hindi

             अधिकांश शिक्षकों को यह पता ही नहीं होता है कि दुनिया की असली टैलेंट लॉस्ट बेंच पर है। केवल इस कारण के लिए टीचर्स उनको सपोर्ट करते है कि वो ज्यादा मार्क्स लेते है। इस तरह टॉपर्स अहंकार का गुलाम बनते है। अपने अहंकार के कारण वे अज्ञानी हो जाते हैं। केवल मार्क्स और डिग्री से पेट नहीं भरता है, यह बात उनको फेल हुए छात्रों के हाथ के निचे काम करते वक्त समझ में आता है। विद्या के साथ बुद्धि भी होना जरूर है, यह उन्हें बाद में समझ आता है। कॉलेज में इंटरनल मार्क्स के लिए शिक्षकों की गुलामी करनेवाले ये टॉपर्स बाद में जॉब और प्रोमोशन के लिए बॉस का गुलामी करते है। इसलिए कहते है कि “Toppers are the real Loafers”.

क्लास टॉपर्स सफल क्यों नहीं होते? Motivational Article for Last Bench Students in Hindi

4) ज्ञान और कौशल की कमी (Lack of Knowledge and Skills) :

                टॉपर्स अपने आँखों को मार्क्स के कपड़े बांधकर पढ़ाई करते है। इसलिए उनमें ज्यादा ज्ञान या कौशल नहीं होते है। उनके ब्लाइंड रीडिंग उनको अज्ञान की कुएं में धकेल देता है। इन टॉपर्स को ठीक से बैंक चालान भी भरने को नहीं आता है। इस समय फेल होनेवाले छात्र चेक से दूसरों को सैलरी देते है। इन टॉपर्स हमेशा Communication Skills, Financial Skills, General Knowledge, Self Confidence, Creativity आदियों की कमी से तड़पते रहते है। इसलिए सफलता उनके लिए एक सपना बन जाती है।

क्लास टॉपर्स सफल क्यों नहीं होते? Motivational Article for Last Bench Students in Hindi

5) असफलता की डर (Fear of Failure) :

           ये टॉपर्स माता-पिता और शिक्षकों के डर से सिर्फ मार्क्स के लिए पढ़ पढ़कर मुर्ख बने होते है। वे स्कूल कॉलेजों में कभी विफल नहीं होते है। लेकिन समाज में आसानी से हार जाते हैं। परीक्षा में आसानी से पास होनेवाले ये लोग लाइफ में बुरी तरह से फेल हो जाते है। फेलीवर की डर से वो कुछ भी नया ट्राय नहीं करते है। जो काम मिलता है उसे करते है और आर्डिनरी जॉब करते हुए आर्डिनरी लाइफ लीड करते है।

क्लास टॉपर्स सफल क्यों नहीं होते? Motivational Article for Last Bench Students in Hindi

          देखिये दोस्तों, केवल मार्क्स से, कॉलेज डिग्री से आपका लाइफ सफल नहीं होता, लेकिन निश्चित रूप से सेटल होता है। मार्क्स और कॉलेज डिग्री से बिज़नेस में कोई फायदा नहीं होता है। यही कारण है कि मैं अभी तक अपने कॉलेज की डिग्री सर्टिफिकेट लेने नहीं गया। फ्यूचर में जावूंगा भी नहीं।

             टॉपर्स सिर्फ कॉलेज की संपत्ति हैं। लेकिन लास्ट बेंचर्स पूरे देश की संपत्ति हैं। यही कारण है कि अब्दुल कलामजी ने कहा है, “देश के सबसे अच्छे ब्रेन्स क्लास रूम की लास्ट बेंच पर पाए जाते है”। इस बात को कई बिज़नेसमेन ने आलरेडी साबित करके दिखाया है।

             बिलगेट्स, स्टीव जॉब्स और मार्क जुकरबर्ग जैसे कई लोग बिना कॉलेज डिग्री के बिलेनियर बनें है। अब बुद्धिमानों को कॉलेज डिग्री की कोई आवश्यकता नहीं है। क्योंकि Google और Facebook जैसे बड़े कंपनियां बिना किसी कॉलेज डिग्री वाले लोगों को ही ज्यादा काम दे रहे है। इन कारणों की वजह से क्लास टॉपर्स सफल नहीं होते है। मैं एक लास्ट बेंच स्टूडेंट हूँ, इस बात के लिए मुझे गर्व है। अगर आप भी एक एवरेज छात्र है तो चिंता मत करें, आपको क्लास टॉपर्स से भी ज्यादा ब्राइट फ्यूचर है। अगर आपको यह कॉलम पसंद आया है तो इसे लाइक और शेयर करें। साथ में अपने राय को कमेंट करके बताइए। All the Best and Thanks You…

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Director Satishkumar

Satishkumar is a young multi language writer (English, Hindi, Marathi and Kannada), Motivational Speaker, Entrepreneur and independent filmmaker from India. And also he is the Co-founder and CEO of Roaring Creations Pvt Ltd India. Follow Me On : Facebook | Instagram | YouTube | Twitter My Books : Kannada Books | Hindi Books | English Books