पुराने समय से ही इस दुनिया में पैसा, सोना, जमीन और औरतों के लिए सभी प्रकार के लड़ाई झगड़े होते आ रहे है। आदमी पैसों लिए किसी भी बुरे काम करने के लिए तैयार हो जाता है, इसे बहुत सारे उदाहरण हैं। सत्ता के लिए विभीषण ने राम के द्वारा अपने ही भाई रावण का वध किया। सत्ता के लिए पांडव और कौरव दुशमनों के तरह लड़कर मर गए। सत्ता के लिए औरंगजेब ने अपने ही पिता को कैद में रखा था। सिर्फ 30 सेंट के लिए जुडस ने अपने गुरु जिसस को धोखा दिया। रोमन साम्राज्य के लिए ब्रूटस ने धोखे से अपने दोस्त जूलियस सीज़र का कत्ल किया। यदि मैं ऐसे ही लिखता गया तो पेजस पर्याप्त नहीं होंगे। इतने सारे बुरी चीजें पैसों के लिए, सत्ता के लिए, जमीन के लिए और औरतों के लिए हुए हैं। इनमें से धोखा देनेवाले अधिकांश लोग प्यारे दोस्त ही थे। यह बात मुझे बार बार सताती है। इसलिए अपने दोस्तों से सावधान रहें।
ऐसा नहीं है कि मुझे दोस्ती में भरोसा नहीं है। मुझे दोस्ती पर बहुत भरोसा है। मुझे एक ही बेस्ट फ्रेंड है। बाकी सब सिर्फ अवसरवादी मित्र है। साथ रहकर पीठ में छुरा भोंकने में हमारे दोस्त सारे रिश्तेदारों को और दोस्तों को पीछे छोड़ते है। अब दोस्ती भी प्यार की तरह स्वार्थी हो गई है। दोस्त ही धोखा दे रहे है। दिलों के बिच सेतु बनाने के बजाय, दीवारें बना रहे हैं। जरूरत पड़ने पर अच्छी तरह से इस्तेमाल करके बाद में कूड़े के डिब्बे में फ़ेंक रहे है। अब ये दोस्ती और प्यार सिर्फ रिश्ते बनकर नहीं रहे हैं। वे सुविधा के अनुसार किये जानेवाले पार्ट टाइम जॉब्स हो गए है। दूध की तुलना में दोस्ती में ही अधिक मिलावट है। अगर प्यार एक बार धोखा देता है तो दोस्ती बार-बार धोखा देती है। क्योंकि सभी दोस्त स्वार्थी और धोखेबाज बन चुके है।
मुझे आज की दोस्ती में बिलकुल भी भरोसा नहीं है। क्योंकि मदद के लिए मध्यरात्रि कॉल करने पर मैंने मेरे दुश्मनों की भी मदद की है। लेकिन जब मैं मुसीबत में था तो तब मेरे दोस्तों ने मेरी मदद नहीं की। यह दर्द बार बार मुझे सताता है। मेरे दोस्त जो कॉलेज में हमेशा मेरे साथ रहते थे, मेरे नोट्स को कॉपी करते थे, मेरे नोट्स को पढ़कर ही गवर्नमेंट जॉब को पाए है, वो आज मुझे भूलकर अपने वैहाहिक जीवन में डूब गए हैं। उनके पास एक मामूली थैंक्स कहने की शिष्टाचार भी नहीं है। कॉलेज में रहते वक्त दिन में दस बार कॉल करनेवाले कुचेल, आज कुछ नहीं पूछते है। इसका मतलब यह नहीं है कि उनके पास समय नहीं है और व्यस्त हैं। उनके पास बात करने की मन नहीं है। उनका मन बदन में सिर्फ जलसी भरा हुआ है।
मैं यह नहीं कह रहा हूं कि सभी दोस्त बुरे होते हैं। लेकिन मैं सिर्फ इतना कह रहा हूं कि सभी दोस्त अच्छे नहीं होते हैं। जब मैं दुखी था, मेरे सभी नकली दोस्तों ने दिवाली मनाई। लेकिन केवल मेरे बेस्ट फ्रेंड ने दिवाली को छोड़कर मेरे दर्द में भाग लिया और मुझे सांत्वना दी। फ्रेंडशिप डे के दिन मेरे हाथ पर जितने बैंड थे, उतने हाथ मेरे कंधे पर नहीं थे जब मैं मुसीबत में था। उस दिन केवल उसका हाथ मेरे कंधे पर था। मैंने उस दिन एक बात सीखी कि “गांव भर दुशमन होते है तो भी चलता है, लेकिन बेकार दोस्त नहीं होने चाहिए।
एक लड़के के लिए दूसरे लड़के को बेस्ट फ्रेंड होना संभव ही नहीं है। क्योंकि जैसे स्त्री ही स्त्री की शत्रु है, वैसे पुरुष ही पुरुष का शत्रु है। जिस तरह एक महिला दूसरे महिला की सुंदरता को बर्दाश्त नहीं कर सकती, उसी तरह एक पुरुष दूसरे पुरुष की सफलता को बर्दाश्त नहीं करेगा। साथ में रहकर, मक्खन जैसे बाते करके पीठ में छुरा भोंकते है। यह मेरा दुर्भाग्य है कि जब मैं एग्जाम में टॉप किया था तो सबसे ज्यादा बुरा मेरे दोस्तों को लगा था। अब जान बचाने वाले दोस्तों से ज्यादा जलसी से जान को खतरा लाने वाले दोस्त ही ज्यादा हो गए है।
फ्रेंच फिलॉसफर वाल्टर (Voltaire) कहते हैं कि, “Oh Lord, Protect me from my friends ; I can take care of my enemies” (हे भगवान, मुझे मेरे दोस्तों से बचाओ ; मैं अपने दुश्मनों को मिटा सकता हूं”। उनका बात वास्तविकता के बहुत करीब है। क्योंकि, आज दोस्त ही मरने से पहले हमारे कब्र खोद रहे है। वो भोजन के लिए घर बुलाने वाला दोस्त की पत्नी पर अपनी बुरी नज़र रखते हैं। ऐसे बहुत से दोस्त हैं जिन्होंने अपने सबसे अच्छे दोस्त को कंपनी से बाहर निकाल दिया, जिन्होंने उन्हें बहुत भरोसा करते हुए व्यापार में साझेदारी दी थी। हमारे समाज में अभी भी बहुत सारे विश्वासद्रोही हैं जिन्होंने अपने सबसे अच्छे दोस्तों को पैसे, संपत्ति और महिला के लिए मार डाला है। इसीलिए, अपने शत्रुओं से ज्यादा अपने मित्रों से सुरक्षित रहने की आवश्यकता अधिक है। रॉबर्ट ग्रीन द्वारा लिखी गई पुस्तक “48 Laws of Power” में, “Don’t trust your friends too much ; rather than use your enemies ” (अपने दोस्तों पर ज्यादा भरोसा मत करो, इसके बजाय अपने दुश्मनों का उपयोग करो”) यह बात प्रभावी ढंग से व्यक्त हुआ है।
दोस्तों के पास सलाह लेने के बजाय दुशमनों से आनेवाली फीडब्याक का सही इस्तेमाल करना सच्ची समझदारी है। क्योंकि हमारे दोस्तों के पास हमारी गलतियों को दिखाने की हिम्मत नहीं होती। अगर होती है तो भी वो हमारी गलतियों को नहीं दिखाते। क्योंकि वो शकुनी की तरह हमारे साथ रहकर हमारी बर्बादी को चाहते रहते है। इसीलिए दुश्मनों से आने वाली संदेशों को सही से समझके सुरक्षित रहना बेहतर है। शत्रु हमें असली फीडब्याक देते हैं, हमें अपनी गलतियों को दिखाकर उन्हें सुधारने की मौका देते है, हमें हमेशा अलर्ट रखते है। एक सफल इंसान होने के लिए इतना काफी है ना? अगर चारों ओर स्वार्थी दोस्तों के बजाय एक सक्षम दुश्मन है, तो हम ऑटोमेटिकली सफल हो जाते हैं।
भले ही हम अपने दुश्मनों पर भरोसा करते हैं, हमें अपने दोस्तों पर बहुत ज्यादा भरोसा नहीं करना चाहिए। हमारे दुश्मन हमारी असली ताकत को जानते हैं। लेकिन हमारी कमजोरियां सिर्फ हमारे दोस्तों को ही पता होती हैं। हमारे दोस्तों की वजह से हमारी कमजोरियाँ बाहरी दुनिया के सामने आ जाती हैं। नाव के गिरने के लिए बड़े छेद की आवश्यकता नहीं है। एक छोटा छेद पर्याप्त है। बड़े पहाड़ से कोई ठोकर नहीं खाता। हर कोई छोटे छोटे पत्थरों को ठोकर मारता है। उसी तरह, आपके दोस्तों के द्वारा लीक की गई आपकी छोटी सी कमजोरी आपको डुबा देगी। यदि आप बिज़नेस फील्ड में हैं तो यह छोटी सी कमजोरी आपको नष्ट कर देगी। इसलिए अपने दोस्तों पर ज्यादा भरोसा न करें। उनसे हमेशा सावधान रहें। फेसबुक दोस्तों की तुलना में लाइफबुक दोस्त अधिक महत्वपूर्ण होते हैं, लेकिन सभी दोस्त अच्छे नहीं होते हैं।
अगर आप अपने जीवन में आगे जाना चाहते है तो आज ही तुम्हारे फर्जी दोस्तों से दूर हो जाइए। जब आपकी दाढ़ी में आग लगी हो तो सिगरेट जला लेनेवाला कभी भी आपका बेस्ट फ्रेंड नहीं बन सकता। आपको अपनी गलतियों को दिखाकर सही रास्ते की तरफ नहीं ले जानेवाला आपका सच्चा दोस्त नहीं होता। मुश्किल घडी में आपको मदद नहीं करनेवाला आपका दोस्त नहीं होता। इस क्षण से ही, भ्रमलोक से बाहर आइए और वास्तविकता को समझकर अपने लक्ष्य तक पहुंचने पर ध्यान केंद्रित करें।
मैं अपने जीवन में दुर्योधन जैसा मित्र को चाहता था। क्योंकि यदि वह चाहे तो कुरुक्षेत्र युद्ध के अंतिम दिन पांडवों के साथ समझौता कर लेता था और आधा साम्राज्य लेकर कुश रहता था। लेकिन वह ऐसा नहीं किया। अपने दोस्त कर्ण अब जीवित नहीं है, केवल इस एकमात्र कारण के लिए पांडवों के साथ समझौता किए बिना वह मर गया। हमें दुर्योधन की दोस्ती और सहनशीलता के आगे झुकना चाहिए जब उसने कर्ण को अपनी पत्नी भानुमति के साथ उसके गर्दन पर हाथ रखते हुए पाया। इसलिए मैं उसके जैसा एक महान दोस्त को चाहता था। लेकिन मुझे उसके जैसा दोस्त कभी नहीं मिला। इसके बजाय मुझे श्रीकृष्ण जैसी सच्ची सहेली मिली। दोस्ती में वो श्रीकृष्ण की तरह होती है तो मैं सुधामा की तरह हूं। वो मुझसे कुछ भी नहीं चाहती। क्योंकि सब कुछ उसके पैरों पर पड़ा है। वो सिर्फ मेरी सफलता चाहती है। मुझे दोस्ती के दूसरे चेहरे पर लिखने की आवश्यकता नहीं थी, जब मुझे उसके जैसे महान सहेली थी। लेकिन मेरे कुछ दोस्त मुझे धोखा देकर बार-बार मुझे हीरो बना रहे हैं। इसलिए मुझे नकली दोस्तों के बारे में जागरूकता लाने के लिए यह लेख लिखना पड़ा। अपने दोस्तों पर ज्यादा भरोसा न करें। अपने दोस्तों से सावधान रहें और अपने दोस्तों से सुरक्षित रहें।
मैंने अपने दोस्तों के बारे में और दोस्ती के बारे लिखा है। आप भी अपने दोस्तों के बारे में कमेंट बॉक्स में लिखें। और इस लेख को केवल अपने सबसे अच्छे दोस्तों के साथ साझा करें। आप सभी से मेरा एक छोटा सा निवेदन है कि आप अपने उन दोस्तों को धोखा न दें जो आप पर बहुत भरोसा करते हैं, भले ही आप दुनिया को धोखा दें। ऑल द बेस्ट और धन्यवाद…
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