नमस्ते दोस्तों। मैं हूं सतीशकुमार। दोस्तों इस कॉलम में, मैं आपके साथ भगवद गीता के 15 बेस्ट लाइफ लेसन्स को शेयर करने वाला हूं। सो अभी इस कॉलम को लाइक कीजिए और इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर कीजिये। लेट्स बिगिन।
लेसन – 01 : अब तक जो हुआ है, वो अच्छा हुआ है। अब जो हो रहा है, वो अच्छे के लिए ही हो रहा है। आगे जो होगा, वो भी अच्छा ही होगा। इसलिए किसी बात के लिए ज्यादा चिंता न करें। ज्यादा परेशान मत होइए। आप अपना काम को ठीक से करें, सब कुछ ठीक होगा।
लेसन – 2 : यह दुनिया नश्वर है। इस पृथ्वी पर जो भी आता है, वह एक दिन जरूर वापस चला जाता है। हमारा शरीर नश्वर है। लेकिन हमारी आत्मा अमर है। हमारी आत्मा को आदि और अंत नहीं है। हमारी आत्मा को न कोई जन्म है और न कोई मृत्यु है। मृत्यु से डरो मत। क्योंकि यह सिर्फ एक संक्रमणकालीन अवस्था है। It’s a transitional phase between birth to death and death to birth.
लेसन – 3 : हम खाली हाथों से आते है और खाली हाथों से वापस जाते है। इस दुनिया में कुछ भी शाश्वत नहीं है। इस दुनिया में कुछ भी स्थायी नहीं है। इसलिए आने-जाने की चिंता किए बिना हमें अपने कामों को सही तरीके से करना चाहिए। हमें परिणाम के बारे में बहुत अधिक चिंता किए बिना नियमित रूप से अपना काम करना चाहिए।
लेसन – 4 : हमारा मन हमारा असली मित्र और असली शत्रु है। अगर हमारा मन हमारे नियंत्रण में है तो इससे अच्छा कोई मित्र नहीं। यदि यही मन हमारे नियंत्रण में नहीं है तो इससे बुरा कोई शत्रु नहीं। इसलिए सबसे पहले हमारे मन को जीतना बहुत जरुरी है।
लेसन – 5 : परिवर्तन से डरो मत। परिवर्तन प्रकृति का नियम है। आपको हमेशा बदलाव के लिए तैयार रहना चाहिए। आप अपने कर्मों के अनुसार बिलेनियर या भिखारी बन सकते हैं।
लेसन – 6 : वासना, क्रोध और लोभ यह तीनों आपको आपसे ही बर्बाद कर देती हैं। वासना आपको कर्तव्य भ्रष्ट बनाती है। क्रोध आपके रिश्तों को ख़राब करके आपको अकेला कर देती है। आपके क्रोध की ज्वाला आपको ही जलाती है। लोभ आपकी खुशियाँ छीन लेती है। यह वासना, क्रोध और लोभ नरक के द्वार की तरह हैं। इसलिए इन सबसे दूर रहना सबसे अच्छा है। वासना, क्रोध और लोभ कभी शांत न होनेवाली आग की तरह है। इसको आप अपने इन्द्रियों को नियंत्रण में रखके नियंत्रण कर सकते हैं।
लेसन – 07 : जो लोग हर चीज पर संदेह करते हैं, वे कभी खुश नहीं रह सकते। एक संदिग्ध दिमाग कभी भी किसी चीज़ पर ध्यान केंद्रित नहीं कर सकता है। उलझन से भरा दिमाग कभी भी आपको आपके लक्ष्य तक नहीं पहुँचाएगा। इसलिए संदेह से बाहर निकलें। बुरे विचारों से बाहर निकलें। उदात्त विचार बनाइये। नेक काम कीजिये।
लेसन – 08 : मनुष्य अपने द्वारा किये गए अच्छे कर्मों से ऊपर जा सकता है। या अपने बुरे कर्मों से निचे भी गिर सकता है। अतः मनुष्य का सच्चा दोस्त और शत्रु मनुष्य ही है। आप अपने दोस्त और दुश्मन दोनों भी हैं।
लेसन – 09 : यदि आप अपने मन में स्वार्थ को बढ़ने देते हैं, तो आपकी बुद्धि फीकी पड़ जाएगी। जिस ज्ञ्यानी के तन मन में स्वार्थ भरा होता है, उसकी ज्ञान किसी काम की नहीं है। स्वार्थ से भरा हुआ ज्ञ्यानी और धूल से भरी दर्पण दोनों एक ही हैं, दोनों कभी नहीं चमकेंगे।
लेसन – 10 : अपने कर्तव्य से भागो मत। अगर इसका परिणाम ठीक नहीं है तो भी इसे पूरा करें। अपना कर्तव्य को ईमानदारी से निभाएं। परिणाम को भगवान पर छोड़ दीजिए। बस कर्म आपके हाथ में है, फल आपके हाथ में नहीं है।
लेसन – 11 : यदि आप अपने जीवन में सफल होना चाहते हैं, तो आपको ज्ञान और अनुशासन विकसित करना चाहिए। ज्ञान और अनुशासन आपको अनावश्यक समस्याओं से बचाते है।
लेसन – 12 : भगवान से जुड़ने के लिए कई रास्तें हैं। आपको जो रास्ता सही लगता है आप उस रास्ते को चुन सकते हैं। कर्मयोग, ज्ञानयोग, राजयोग, भक्तियोग ये सभी निश्चित रूप से परमात्मा से जुड़ते हैं। आपको जो रास्ता अच्छा लगता है उसे चुनिए।
लेसन – 13 : कुछ भी ज्यादा हुआ तो या कम हुआ तो मन का संतुलन बिगड़ता है। मानसिक शांति भंग हो जाती है। इसलिए आपका आहार, विहार, विचार, विश्राम सब कुछ संतुलन में रहना चाहिए। उचित आहार, उचित विहार, उचित विचार को अपनाइये।
लेसन – 14 : भावनाओं के आधार पर कोई निर्णय न लें। क्योंकि भावनाएँ टेम्पररी होती हैं। जब आप बहुत खुश होते हैं या दुःखी होते हैं, उस समय लिए गए निर्णय ज्यादातर गलत होते हैं। इसलिए जब आप नार्मल होते हैं, उस समय निर्णय लीजिये। गुस्से में या प्यार में किसी भी निर्णय को न लें। भावुक होने पर महत्वपूर्ण निर्णय न लें।
लेसन – 15 : जीवन एक युद्ध का मैदान है। बहादुरी से लड़ो। पैरों तले जमीन खिसक गई तो भी किसी से बिना कुछ मांगे बहादुरी से आगे बढ़ो।
दोस्तों, हमारा जीवन भी किसी कुरुक्षेत्र युद्ध से कम नहीं है। हम सब अर्जुन जैसे बन चुके हैं। हमको क्या करना है? कैसे करना है? क्यों करना है? यह सब बहुत अच्छे से पता है। लेकिन इसे करने की मन नहीं है। प्रबल इच्छा शक्ति नहीं है। इसलिए प्रबल इच्छा शक्ति को डेवलप करें और आगे बढ़े। यदि आपको यह वीडियो अच्छा लगा है तो प्लीज इस वीडियो को लाइक कीजिए, डायरेक्टर सतीश कुमार Hindi यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब कीजिए और अपने सारे दोस्तों के साथ शेयर कीजिए। Thank You…
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